Monday, 30 March 2020

ट्रांसफॉमर को डिजिटल मल्टीमीटर के द्वारा कैसे चेक करे।



    ट्रांसफॉमर को डिजिटल मल्टीमीटर के द्वारा कैसे चेक करे।


ट्रांसफॉमर को डिजिटल मल्टीमीटर के द्वारा कैसे चेक करे।

ट्रांसफॉमर को डिजिटल मल्टीमीटर से चैक करने की विधि लगभग एनालॉग मीटर के द्वारा चैक करने जैसी ही है।
·       सबसे पहले डिजिटल मल्टीमीटर को ओन करे। 
·    ·   अब डिजिटल मल्टीमीटर मीटर की काली प्रोब को कॉम प्लग में लगाये और लाल प्रोब को VΩ  वाले प्लग में लगाये।  
·       अब डिजिटल मल्टीमीटर के रोटरी को घुमाकर बीप या बज़र की रेंज पर सेट करे।  इस रेंज पर दोनों प्रोब को आपस में छूने से डिजिटल मल्टीमीटर से एक म्यूजिक या बीप साउंड सुनाई पड़ेगी।  यदि बीप की आवाज नहीं आती है तो डिजिटल मल्टीमीटर ख़राब है।  इसलिए पहले चेक करले की मीटर सही है। की नहीं।  
·       जिस प्रकार एनालॉग मीटर से ट्रांसफार्मर की सभी वाइंडिंग चेक की गई थी।  उसी प्रकार इसको भी चेक करेंगे। 
ट्रांसफार्मर को मल्टीमीटर से चैक करना

·       यदि प्राइमरी वाइंडिंग और सेकेंडरी वाइंडिंग को आपस में चेक करने पर कोई भी बीप या डिजिटल मल्टीमीटर के डिस्प्ले पर रेसिस्टेंस दिखाता है तो वाइंडिंग शार्ट है।  कहने का मतलब यह है की प्राइमरी वाइंडिंग का सम्बन्ध सेकेंडरी वाइंडिंग से किसी भी प्रकार से नहीं होना चाहिए। 
·       ट्रांसफॉमर की प्राइमरी वाइंडिंग को चेक करने पर बीप के साथ रेसिस्टेंस दिखाना चाहिए।  रेसिस्टेंस ट्रांसफार्मर के वाइंडिंग के प्रकार के हिशाब से कम या ज्यादा हो सकता है। 
·       ठीक इसी प्रकार सेकंडरी वाइंडिंग को भी चेक किया जाता है।  

How to check transformer primary and secondary:
किसी भी ट्रांसफार्मर में 2 तरह का कॉयल होता है- प्राइमरी क्वाइल और सेकेंडरी क्वाइल। हालांकि अच्छी कंपनी के transformer के दोनों coil से अलग-अलग रंग का तार बाहर निकाला जाता है जिससे दोनों की पहचान आसानी से की जा सकती है। लेकिन बहुत सारे ट्रांसफार्मर में इस प्रकार से कॉयल की पहचान नहीं की जा सकती है।
यदि आपको पता नहीं है कि transformer का कौन-सा coil प्राइमरी है और कौन-सा सेकेंडरी, तो ऐसे में यदि आप इसमें पॉवर सप्लाई दे देंगे तो हो सकता है कि आपने सेकेंडरी कॉयल पर ही सप्लाई दे दिया हो। तो ऐसे में ट्रांसफार्मर जलकर खराब भी हो सकता है। इसलिए नीचे हम कुछ ट्रिक बता रहे हैं जिससे आप आसानी से किसी भी ट्रांसफार्मर के प्राइमरी और सेकेंडरी क्वाइल की पहचान कर सकेंगे।
1.      प्राइमरी क्वाइल की अपेक्षा सेकेंडरी कॉयल कम गेज का होता है। इसका मतलब ये हुआ कि प्राइमरी coil, सेकेंडरी कॉयल की अपेक्षा पतला होता है।
2.      प्राइमरी क्वाइल में सेकेंडरी क्वाइल की अपेक्षा ज्यादा बाइंडिंग की हुई होती है। इसका मतलब ये हुआ कि यदि मल्टीमीटर से transformer के कॉयल का रेजिस्टेंस चेक किया जाए तो सेकेंडरी क्वाइल की तुलना में प्राइमरी कॉयल का प्रतिरोध ज्यादा होगा।
ऊपर बताई गई बातों से स्पष्ट होता है कि
1.      ट्रांसफार्मर का जो क्वाइल पतला होगा वो प्राइमरी कॉयल होगा और जो क्वाइल मोटा होगा वो सेकेंडरी क्वाइल होगा।
2.      जिस क्वाइल के दोनों छोर के बीच का प्रतिरोध ज्यादा होगा वो प्राइमरी कॉयल होगा और जिस क्वाइल के दोनों छोर के बीच का प्रतिरोध कम होगा वो सेकेंडरी कॉयल होगा।

ट्रांसफार्मर किन परिस्थितियों में सही माना जाता है?
कोई भी ट्रांसफार्मर को निम्नलिखित 5 परिस्थितियों में ही सही माना जायेगा। चेकिंग करने के दौरान यदि इनमें से कोई भी टॉपिक गलत हो जाये तो ट्रांसफार्मर खराब माना जायेगा।
1.      ट्रांसफार्मर का प्राइमरी क्वाइल सही हो।
2.      ट्रांसफार्मर का सेकेंडरी क्वाइल सही हो।
3.      प्राइमरी क्वाइल और सेकेंडरी क्वाइल आपस में शोर्ट न हों।
4.      कोर और प्राइमरी क्वाइल आपस में शोर्ट न हों।
5.      कोर और सेकेंडरी क्वाइल आपस में शोर्ट न हों।



























वोल्ट विधि से ट्रांसफार्मर की टेस्टिंग कैसे करें?

वोल्टेज विधि से ट्रांसफार्मर को चेक करने की विधि के बारे में हम पॉइंट-बाई-पॉइंट नीचे बता रहे हैं। आप एक-एक पॉइंट को गौरपूर्वक पढ़ें और पहले समझ लें इसके बाद टेस्टिंग करें। एक बात का ध्यान रहे कि वोल्ट विधि से transformer की टेस्टिंग करने के लिए पहले उसमें सप्लाई देना होगा। सप्लाई देने के बाद और चेकिंग करने के दौरान आपका शरीर ट्रांसफार्मर और उसके नंगे तार के संपर्क में नहीं आना चाहिए। साथ ही इस पूरे प्रक्रिया के दौरान transformer किसी भी सर्किट के संपर्क में नहीं होना चाहिए।
1.      सबसे पहले ट्रांसफार्मर को सभी जुड़े हुए सर्किट से अलग कर लें।
2.      इसके बाद आपको ये पता होना चाहिए कि ट्रांसफार्मर का कौन-सा coil प्राइमरी क्वाइल है और कौन सा क्वाइल सेकेंडरी कॉयल है। यदि आपको ये पता नहीं है तो सबसे पहले ऊपर बताये गए तरीके से इस बात का पता लगा लें। अब मान लेते हैं कि आपको प्राइमरी और सेकेंडरी कॉयल का पता चल गया है।
3.      इसके बाद आपको ये पता होना चाहिए कि आपका transformer कितने वोल्ट का है। मतलब ये कि वो ट्रांसफार्मर कितना वोल्ट प्रदान करता है। मान लेते हैं कि वो ट्रांसफार्मर 12 वोल्ट का है।
4.      अब उस ट्रांसफार्मर के प्राइमरी क्वाइल वाले तार में 200-220V एसी का सप्लाई दे दीजिये। यदि आप इससे कम वोल्ट का सप्लाई देंगे तो transformer का आउटपुट भी कम वोल्ट का होगा जिससे टेस्टिंग के रिजल्ट पर असर पड़ेगा।
5.      अब अपने मल्टीमीटर को 200V AC या इससे ज्यादा वोल्ट के रेंज पर लायें। ध्यान रहे कि ट्रांसफार्मर में सिर्फ एसी वोल्ट ही होता है इसलिए यहाँ पर मल्टीमीटर के प्लग में (+) और (-) नहीं होगा। आप मल्टीमीटर के प्लग को उल्टा-सीधा किसी भी तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं।

1) ट्रांसफार्मर के क्वाइल को चेक करना

सबसे पहले ऊपर बताये गए जितना काम कर लें और तब नीचे बताये गए विधि से ट्रांसफार्मर क्वाइल टेस्टिंग करें।
1.      ट्रांसफार्मर के प्राइमरी coil जिस पर आपने सप्लाई दिया है वहां पर वोल्टेज चेक करके संतुष्ट हो जायें कि ट्रांसफार्मर को सप्लाई मिल रहा है या नहीं। मान लेते हैं कि यहाँ पर सही वोल्टेज बता रहा है तो अब आगे बढें।
2.      अब सेकेंडरी क्वाइल पर वोल्ट चेक करें।
3.      चूँकि आपका transformer 12 वोल्ट का है, इसलिए यदि इस coil पर लगभग 12 वोल्ट बताए तो इसका मतलब ट्रांसफार्मर का प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों coil सही है और ट्रांसफार्मर भी सही है।
4.      यदि सेकेंडरी कॉयल पर 0 वोल्ट बताए तो ट्रांसफार्मर खराब है।
5.      यदि सेकेंडरी क्वाइल पर 12 वोल्ट से बहुत कम वोल्टेज बताये तो इसका मतलब होगा कि ट्रांसफार्मर के क्वाइल और तार के बीच कार्बन बन गया है। या फिर किसी भी वजह से transformer ओपन हो गया है।
6.      यदि सेकेंडरी कॉयल पर 12 वोल्ट से बहुत ज्यादा वोल्ट बताये तो इसका मतलब होगा कि ट्रांसफार्मर का प्राइमरी क्वाइल शोर्ट है।

2) ट्रांसफार्मर की शोर्टिंग चेक करना

ऊपर आपने अभी तक सिर्फ ट्रांसफार्मर के coil को चेक किया था। यदि ऊपर बताये गए तक सब कुछ सही है तो आपका transformer सही से काम करेगा। लेकिन अभी प्राइमरी क्वाइल और सेकेंडरी क्वाइल के बीच की शोर्टिंग और दोनों coil और कोर के बीच की शॉर्टिंग चेक करनी बाकी है। तो चलिए अब ट्रांसफार्मर शोर्टिंग टेस्ट करते हैं। ध्यान रहे कि इस चेकिंग के दौरान भी ट्रांसफार्मर में सप्लाई दिया होना जरूरी है। और साथ ही मल्टीमीटर भी अधिकतम एसी वोल्ट के रेंज पर होना चाहिए।

a) प्राइमरी कएल और सेकेंडरी कएल के बीच की शोर्टिंग की जांच करना

1.      मल्टीमीटर के किसी भी एक प्लग को प्राइमरी क्वाइल के किसी भी एक छोर पर सटाएँ और दुसरे प्लग को सेकेंडरी क्वाइल के किसी भी एक छोर पर सटाएँ।
2.      यदि मल्टीमीटर में पूरी तरह से 0 वोल्ट बताये तो दोनों coil आपस में शोर्ट नहीं होंगे।
3.      यदि मल्टीमीटर में थोडा-सा भी वोल्ट बताये तो इसका मतलब दोनों क्वाइल आपस में शोर्ट है और उससे जुड़े हुए सर्किट को नुकसान पहुँच सकता है।

b) प्राइमरी क्वाइल और ट्रांसफार्मर के बॉडी/कोर के बीच शोर्टिंग की जांच करना

1.      मल्टीमीटर के एक प्लग को ट्रांसफार्मर के प्राइमरी क्वाइल के किसी भी एक तार में सटाएँ और दुसरे प्लग को ट्रांसफार्मर के कोर/बॉडी में सटाएँ।
2.      यदि मल्टीमीटर में थोडा-सा भी वोल्ट न बताये तो इसका मतलब प्राइमरी क्वाइल और कोर आपस में शोर्ट नहीं है।
3.      यदि मल्टीमीटर में थोडा-सा भी वोल्ट बता दे तो इसका मतलब प्राइमरी क्वाइल और कोर दोनों ही आपस में शोर्ट हैं।

c) कोर और सेकेंडरी क्वाइल के बीच शोर्टिंग की जांच करना

1.      मल्टीमीटर के एक प्लग को ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी क्वाइल के किसी भी एक तार में सटाएँ और दुसरे प्लग को कोर में सटाएँ।
2.      यदि मल्टीमीटर में थोडा सा भी वोल्ट दिखा दे तो इसका मतलब कोर और सेकेंडरी क्वाइल दोनों आपस में शोर्ट हैं।
3.      यदि मल्टीमीटर में थोडा सा भी वोल्ट न दिखाए तो इसका मतलब कोर और सेकेंडरी क्वाइल आपस में शोर्ट नहीं हैं।


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