Friday, 10 April 2020


रिले क्या है और ये कितने प्रकार का होता है?

अगर आप इलेक्ट्रिकल रिपेयरिंग के काम में इंटरेस्टेड होंगे तो आपने बहुत सारे सर्किट में इलेक्ट्रिकल रिले का इस्तेमाल जरूर देखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रिले क्या होता है, रिले क्या काम करता है और रिले कितने प्रकार का होता है। रिले की पूरी जानकारी हिंदी में पाने के लिए हमारा ये पोस्ट जरूर पढ़ें जिसमें हम इसकी सारी जानकारी देने जा रहे हैं।
 रिले क्या है और इसका काम क्या है?
रिले एक इलेक्ट्रिकलस्विच है जो पहले से निर्धारित Power सप्लाइ मिलने पर खुद ही on हो जाता है और सप्लाइ कटने पर खुद ही off भी हो जाता है। जिस तरह से हम अपने घर के स्विच को ऑन करते हैं तो घर का bulb जल जाता है और जब स्विच को ऑफ करते हैं तो bulb फिर से बंद हो जाता है ठीक उसी तरह से एक रिले भी स्विच का ही काम करता है।
इन दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि घर के स्विच को हम खुद हाथ से on/off करते हैं लेकिन रिले यही काम उचित volt का सप्लाइ मिलने के बाद ऑटोमैटिक कर देता है।
रिले का use किन-किन इलेक्ट्रिकलडिवाइस में किया जाता है?

रिले के इस्तेमाल ऑटोमैटिक type के उपकरणों में किये जाते हैं। इन उपकरणों के अच्छे उदाहरण Stabilizer, UPS, Inverter इत्यादि हैं बिना रिले के इन उपकरणों का कोई महत्व ही नहीं रह जाता है। Because ये सभी ऑटोमेटिक डिवाइस होते हैं और इनके किट समय-समय पर खुद ही उचित काम करने के लिए अपने connection परिपथ को बदलते रहते हैं जो कि रिले की सहायता से ही संभव हो पाता है।
यहाँ ध्यान देने वाली बात ये कि हमने कहा है कि रिले लगभग हर ऑटोमैटिक उपकरण में इस्तेमाल किया जाता है। इसका मतलब ये है कि कुछ ऐसे भी ऑटोमैटिक डिवाइस हो सकते हैं जिसमें इसका use नहीं होता है। इसका एक सबसे best example है Electric iron. इलेक्ट्रिक आयरन के ऑटोमैटिक part में रिले का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
Iron के ऑटोमैटिक part में लोहा और पारा के कुछ छोटे-छोटे पत्तियों को इस तरह से adjust किया हुआ होता है कि जब भी आयरन पहले से सेट किये हुए इतना गर्म होता है तब उसके coil का connection खुद ही मेन सप्लाई से कट जाता है और iron गर्म होना बंद हो जाता है।
रिले में कितने parts लगे होते हैं और उनके काम क्या हैं?
यदि रिले की designing को छोड़कर सिर्फ उसके workable parts की बात करें तो किसी भी तरह के रिले में सिर्फ 3 ही पार्ट्स होते हैं। नीचे उनके बारे में विस्तारपूर्वक बताया जा रहा है।
 कोइल
किसी भी रिले का value वास्तव में सिर्फ उसके क्वाइल से ही होता है और सारा काम सिर्फ coil ही करता है। रिले में coil अन्दर में लगा होता है जिस वजह से ये दिखाई नहीं देता है। इस coil से 2 connection pin निकला होता है जिसमें सप्लाइ दिया जाता है। जैसे ही coil में सप्लाइ दिया जाता है तो वहां magnetic field बन जाता है जिस वजह से रिले का दोलन अपने जगह से हिल जाता है और रिले off/on हो जाता है।
कोर
रिले का coil, जरूरत के अनुसार design किये गए लोहे के ठोस कोर पर लपेटा जाता है। ये कोर ही रिले के coil को जलने से बचाता है और एक मजबूत चुम्बकीय क्षेत्र बनाने में सहयोग देता है। जब रिले को उचित सप्लाई दिया जाता है तब वहां magnetic shield बन जाता है जो दोलन को अपने और खींच लेता है जिससे ये रिले on हो जाता है।
 दोलन
रिले को on और off करने के लिए उसके अन्दर एक दोलन लगाया जाता है जो electric shield बनने के बाद अपने जगह से हिल जाता है जिससे रिले के स्विच वाले pin आपस में connect या disconnect हो जाते हैं।
 रिले कितने group में काम करता है?

1) Input Power सप्लाइ Group
रिले के input वाले भाग में उचित मान का सप्लाइ दिया जाता है जिससे रिले काम करता है। किसी भी रिले के coil से जो 2 connection pin बाहर निकाला जाता है उसी में power सप्लाइ दिया जाता है। इस ग्रुप में coil और कोर का नाम आता है।
2) स्विच Group
जब रिले में power सप्लाई दिया जाता है तो इसका दोलन हिल जाता है जिससे रिले on/off होता है। तो इस process में जितने भी componants काम करते हैं वो रिले के स्विच वाले group में आते हैं। दोलन इसी group में आता है क्योंकि स्विच का काम यही करता है।
रिले में कितने volts का सप्लाइ दिया जाता है?
हमने बताया है कि रिले उचित सप्लाइ मिलने के बाद काम करता है, लेकिन ये जान लेना भी जरूरी है कि आखिर वो उचित सप्लाई real में होता कितने volts का है? चूंकि विभिन्न तरह के काम करने के लिए विभिन्न value के volts की जरूरत होती है, इसलिए किसी विशेष value के power सप्लाइ का रिले न बनाकर अलग-अलग value के power सप्लाइ का रिले बनाया जाता है।
यदि आप अपना कोई custom project तैयार कर रहे हैं तो आप अपने जरूरत के अनुसार volts का रिले खरीद सकते हैं। लेकिन यदि किसी circuit में पहले से लगे हुए रिले की बात की जाए, तो उन रिले के input power सहित बाकी के सभी details भी खुद उन्हीं पर लिखे हुए होते हैं।
यदि आपको थोडा-सा भी अनुभव हो जाये तो आप खुद ही सभी रिले की अलग-अलग पहचान कर सकते हैं। हालांकि ज्यादातर सर्किट में 12 volt के रिले का इस्तेमाल किया जाता है जो आपको उसी रिले पर साफ़ अक्षरों में लिखा हुआ मिल जायेगा।
रिले कितने प्रकार के होते हैं?
अलग-अलग सर्किट के जरूरत को ध्यान में रखते हुए रिले को अलग-अलग designing में बनाया जाता है लेकिन उनके काम में कोई परिवर्तन नहीं आता है। इसलिए हम रिले को उसके बनावट के आधार पर न बताकर उसके काम करने के आधार पर explain करेंगे। रिले निम्न आधार पर बनाये जाते हैं।
1) Passing current
किसी भी रिले के स्विच वाले group से maximum कितना current पास किया जा सकता है, इस आधार पर ये विभिन्न ampere में बनाया जाता है। किसी भी रिले का passing current जितना ज्यादा होगा वो रिले size में उतना ज्यादा बड़ा और ज्यादा costly होगा।
मान लेते हैं कि 5 ampere और 10 ampere का 2 रिले है। तो यहाँ 5 एम्पियर वाले रिले से अधिकतम 5 एम्पीयर current को ही cross किया जा सकता है। यदि इस रिले से 5 से ज्यादा ampere का करेंट cross किया जायेगा तो रिले जल जायेगा। लेकिन वहीँ 10 ampere वाले रिले से 10 ampere तक का current पास किया जा सकता है।
एक बात का ख़ास ध्यान रहे कि 5 ampere वाले रिले के जगह पर 10 ampere वाले रिले का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन 10 ampere वाले रिले के जगह पर 5 ampere के रिले का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
2) One-Way रिले
जिस तरह से आप अपने electric board में लगे स्विच को on करते हैं तो bulb जलता है और स्विच को off करते हैं तो bulb बुझ जाता है, ठीक उसी तरह से एक one-way रिले भी काम करता है। इस रिले में 4 connection pin होते हैं। 2 pin power के लिए होते हैं और बाकी के 2 पिन स्विचing के काम के लिए होते हैं।

3) Two-Way रिले
मान लेते हैं कि हमारे पास एक पंखा और एक बल्ब है। हमें इसे electric तरीके से रिले के द्वारा इस तरह से on/off करना है कि रिले के on रहने पर पंखा काम करे लेकिन बल्ब काम नहीं करे और off रहने पर bulb काम करे लेकिन पंखा काम नहीं करे। तो इस तरह के काम के लिए two-way रिले का प्रयोग किया जायेगा।
इस रिले में 5 connection pin होते हैं। 2 पिन तो power सप्लाइ के लिए ही होते हैं लेकिन बाकी के 3 pin स्विचing के लिए होते हैं जिसमें से एक pin को common रखा जाता है। नीचे के image में आप इस रिले के कार्य-विधि को समझ सकते हैं।








4) Two Poles One Way रिले
माना कि आपके पास एक ac बल्ब और एक dc बल्ब है जिस वजह से इन दोनों को एक ही connection पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है और दोनों के लिए अलग-अलग सप्लाइ की भी जरूरत पड़ेगी। लेकिन आप इसे रिले के माध्यम से इस तरह से स्विचing करना चाहते हैं कि एक ही बार में दोनों बल्ब on हो और एक ही बार में दोनों off भी हो।
तो इसके लिए आपको Two Poles One Way रिले की जरूरत होगी। ये रिले एक बार में अकेले ही 2 स्विच का काम इस तरह से कर सकता है कि दोनों स्विच के pin आपस में touch भी नहीं हो सकते। इस रिले में 6 pin होते हैं जिसमें 2 pin power के लिए होता है और बाकी बचे 4 पिन में से 2-2 पिन दोनों pole में स्विचing के लिए होता है।
Second Example, माना कि आपके पास एक ac bulb है और आप इसे एक ही रिले से इस तरह से स्विचing करना चाहते हैं कि एक ही बार में इस बल्ब के दोनों connection (गर्मी और ठंडी) को काटा जा सके, तो इस काम के लिए भी इसी रिले की जरूरत पड़ेगी।
5) Two Pole Two Way रिले
यदि आप एक ही रिले से एक ही बार में Two-Way रिले और Two Poles One Way रिले दोनों तरह के काम लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको Two Poles Two Way रिले की जरूरत पड़ेगी। इस रिले में 8 pin होते हैं जिनमें से 2 पिन power के लिए होते हैं और बाकी बचे 6 pin में से 3-3 पिन अलग-अलग pole के होते हैं। और दोनों pole में ये 3-3 पिन 2 way स्विचing के लिए होते हैं।
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